Wednesday, November 15, 2006

sleepy man :-)

हे मेरे सारथी, मुझे ले चलो जीवन पार उस रण-क्षेत्र में, जहां शस्त्रो का कोई मकसद ना हो..
हे पार्थ, अपने किसी शत्रु का लक्ष्य बना मुझे अपने गांडीव से अब तो तुम मुक्त कर दो..
हे स्रुष्टी, अब तो मुझे कर दो सभी आग्रहो व आकान्शाओ से मुक्त..
कही शायद सुबह होने का आभास हुआ हैं..
तुम्हारे साथ हे रात्रि प्रहरी मॆं भी सोना चाहता हूं..

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