जाने क्यूँ भूल जाता हूँ ज़िंदगी की जद्दों जहद में
थक कर जब भी रुका हूँ, खुद ही ख़ुद को से खोया हुआ पाया है |
एक एक तिनका एक एक कतरे से जब भी किया मंजिल को मुकम्मल
नींदे सुकून ना मिली पर बेचैन सा अगली मंजिल का सपना नज़र आया है ||
- आभास
If there is a God, we must see Him; if there is a soul we must perceive it; otherwise it is better not to believe. It is better to be an outspoken atheist than a hypocrite. - Swami Vivekananda
जाने क्यूँ भूल जाता हूँ ज़िंदगी की जद्दों जहद में
थक कर जब भी रुका हूँ, खुद ही ख़ुद को से खोया हुआ पाया है |
एक एक तिनका एक एक कतरे से जब भी किया मंजिल को मुकम्मल
नींदे सुकून ना मिली पर बेचैन सा अगली मंजिल का सपना नज़र आया है ||
- आभास