Random thoughts for the last hole of a flute....
छन से छनक जाती पायल का संदेस तो नही॥
नयनो से छलकते अश्रु का संवेद तो नही॥
भोर से किसी पग पर छलका कोई राग तो नही॥
मैत्री के किसी वादे का कोई भाग तो नही॥
कर्म पथ का कोई मुश्किल पाठ तो नही॥
हर्षित ह्रदय पर पड़ी कोई गाँठ तो नही॥
गुजरती हुई हर साँस का कोई भेद तो नही॥
कही तुम उस बांसुरी का आखरी छेद तो नही॥
Tuesday, April 28, 2009
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